हम्पी: समृद्धि का एक अनोखा शहर, जिसकी संपत्ति को डेक्कन महासंघ ने कई महीनों तक लूटा
दूर-दूर तक फैली वादी में बड़े-बड़े पत्थरों के साथ 1600 से भी ज्यादा मंदिरों, महलों और दूसरी पुरानी इमारतों के अवशेष पाए जाते हैं।
हिन्दू पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस जगह पर पहले एक वानर साम्राज्य होता था।
हम्पी भारत के कर्नाटक राज्य के बेल्लारी जिले में स्थित एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर स्थल है। यह स्थान अपनी अद्वितीय वास्तुकला, मंदिरों, और ऐतिहासिक महत्त्व के कारण विश्वविख्यात है। हम्पी का आइटी इतिहास राजा कृष्णदेव राय के शासन काल में काफी फला फूला जिसकी वजह से अनेकों हिंदू मंदिरों का निर्माण हुआ। इन मंदिरों की वास्तुशैली, राजा के समृद्ध शासनकाल को दर्शाते हैं। हम्पी के मंदिर संपूर्ण विश्व में अपनी भव्यता और कलाकृति के लिए जाने जाते हैं, जिसे देखने के लिए देश विदेश से काफी संख्या में लोग यहाँ आते हैं।
हम्पी का इतिहास 14वीं शताब्दी में विजयनगर साम्राज्य के समय से जुड़ा हुआ है। यह मध्यकालीन हिंदू राज्य विजयनगर साम्राज्य की राजधानी थी। संस्कृत में विजयनगर का मतलब “जीत का नगर” होता है। यह साम्राज्य दक्षिण भारत में स्थित एक प्रमुख राज्य था और अपनी शक्ति, समृद्धि और सांस्कृतिक योगदान के लिए जाना जाता था। 16वीं शताब्दी में दक्कन सल्तनतों द्वारा इस साम्राज्य का पतन हुआ, जिसके बाद हम्पी धीरे-धीरे एक परित्यक्त स्थल बन गया। और अब यह एक टूरिस्ट स्थल बन गया है। दूर-दूर तक फैली वादी में बड़े-बड़े पत्थरों के साथ 1600 से भी ज्यादा मंदिरों, महलों और दूसरी पुरानी इमारतों के अवशेष पाए जाते हैं। हालांकि, इसके अवशेष आज भी इस क्षेत्र की समृद्धि और गौरव की गाथा कह रहे हैं। इस शहर की खुदाई करने पर पुरातत्ववेत्ताओं को कई भव्य महल, मंदिर और कई बहुत से बुनियादी ढांचे मिले। हम्पी का विशाल दृश्य गोल चट्टानों के टीलों में फैला हुआ है। इन टीलों और घाटियों के बीच पाँच सौ से भी अधिक स्मारक चिह्न हैं। इनमें मंदिर, महल, जल-खंडहर, पुराने बाज़ार, गढ़, चबूतरे, राजकोष, तहख़ाने, शाही मंडप आदि असंख्य इमारतें हैं। हिन्दू पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस जगह पर पहले एक वानर साम्राज्य होता था। उन पौराणिक पूर्वजों के वंशज आज भी इन ग्रेनाइट पहाड़ियों पर उछल-कूद करते देखे जा सकते हैं।
हम्पी तुंगभद्रा नदी के किनारे स्थित है और इसके आसपास कई पहाड़ियां और चट्टानी संरचनाएं हैं। हम्पी का वास्तुशिल्प और मूर्तिकला विजयनगर शैली का उत्कृष्ट उदाहरण है। यहां के त्योहारों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेकर स्थानीय संस्कृति का अनुभव किया जा सकता है। हम्पी यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया है और यहां हर साल हजारों पर्यटक आते हैं।
हम्पी में प्रमुख आकर्षण:
- विरुपाक्ष मंदिर: यह हम्पी का सबसे प्रमुख और पुराना मंदिर है, जो भगवान शिव को समर्पित है। इस मंदिर का निर्माण 7वीं शताब्दी में हुआ था और यह आज भी सक्रिय पूजा स्थल है।
- विट्ठल मंदिर: यह मंदिर अपनी उत्कृष्ट वास्तुकला और रथ मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। यह द्रविड वास्तुकला का एक अद्भुत नमूना है। इसमें भगवान विष्णु के विट्ठल रूप की पूजा की जाती है।
- सप्तकुटी: यह सात छोटे मंदिरों का समूह है, जो हम्पी की वास्तुकला का एक महत्वपूर्ण उदाहरण है।
- हजारा राम मंदिर: इस मंदिर में रामायण के कथानकों की उत्कृष्ट मूर्तियां और चित्रण किए गए हैं।
- लक्ष्मी नरसिम्हा मूर्ति: यह विशाल मूर्ति भगवान नरसिम्हा की है और इसे हम्पी के सबसे बड़े और प्रभावशाली मूर्तियों में से एक माना जाता है।
- कृष्ण मंदिर: यह मंदिर भगवान कृष्ण को समर्पित है और इसके परिसर में कई अन्य छोटे मंदिर और मंडप हैं।
- हम्पी बाजार: यह बाजार प्राचीन समय में व्यापार का केंद्र था और आज भी इसकी पुरानी दुकानों और संरचनाओं को देखा जा सकता है।
इसके अलावा आर्केयोलॉजीकल म्यूजियम, यंत्रोद्धार हनुमान मंदिर, क्वीन बाथ, हेमकुट पहाड़ी मंदिर, मतंगा हिल, ससिवेकालु गणेश मंदिर, दरोजी स्लोथ बेयर सैंक्चुरी, तुंगभद्रा बांध, हिप्पी द्वीप, गगन महल, सनापुर झील, हाथी अस्तबल, स्टेप्ड टैंक, अखंड बैल, कमल महल, जेनाना एनक्लोजर आदि अनेकों घूमने लायक स्थल है जो हम्पी की सुंदरता और बढ़ाते हैं।
कैसे पहुंचे हम्पी:
हम्पी तक पहुंचने के लिए निकटतम हवाई अड्डा बेल्लारी में है, जो लगभग 60 किमी दूर है। इसके अलावा कर्नाटक में हुबली हवाई अड्डा भी है, जो हम्पी से 166 किमी दूर है। हुबली के लिए नियमित उड़ानें बेंगलुरु से आती हैं। निकटतम रेलवे स्टेशन होसपेट है, जो हम्पी से लगभग 13 किमी दूर है। इसके अलावा, सड़कों के माध्यम से भी यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है।
हम्पी घूमने का सहीं समय:
हम्पी यात्रा करने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से फरवरी के बीच का है, जब मौसम सुखद होता है। इसके अलावा बारिश के मौसम में भी यहाँ की प्राकृतिक सुंदरता आकर्षक लगती है। परंतु जुलाई से सितंबर तक भारी वर्षा के कारण यात्रा में बाधा आ सकती है। जबकि मार्च से जून तक यहाँ बहुत गर्मी रहती है।
इस प्रकार हम्पी एक ऐसा स्थल है जो इतिहास, वास्तुकला, और प्रकृति प्रेमियों के लिए एक आदर्श गंतव्य है। यहां की समृद्ध विरासत और अद्वितीय वातावरण हर किसी को मंत्रमुग्ध कर देता है।